न्यायालय का मतलब होता है लोगो के साथ न्याय, लेकिन जब न्याय ही लोगो के साथ आन्याय करे तो लोगो का भरोसा उटने लगता है। जो आज के माहौल में दिखाई दे रहा है। अमीरों के लिए जल्दी न्याय और गरीबों के लिए देर में न्याय।
आज के माहौल बहुत सी ऐसी घटनाएं हुई है। जिससे लोगों का न्यायालय के उपर लोगो को अब भरोसा टूटने लगा है। बाबरी मस्जिद का फैसला हो या और कोई अन्य केस। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बाबरी मस्जिद गिराई गई तो अपराध हुआ है। फिर भी ये फैसला अपराधों के हक में गया। ये तो वही हुआ कि कोई जिद्दी बच्चा बोला ये चीज मुझे दे दो, तो उसे खुश करने के लिए दे दिया जाता है वहीं आज बड़े कम्युनिटी को खुश करने के लिए किया गया जिससे वो सरकार के लिए वोट बैंक हो जाए ।सही फैसला होता तो देश के साथ पूरे दुनिया में हमारे देश की इस न्याय की इज्जत की जाती और हमारे देश का नाम बुलंद होता। लेकिन ऐसा ना होके हमारे जज भी गवर्मेंट के दबाव में आँके फैसले लिए जा रहे जो आज के माहौल में दिख रहा है।
मुझे अपने न्यायालय पर बहुत भरोसा था जब हमारा न्यायालय कहीं गलत हो रहा तो स्वतः संज्ञान लेता है। जैसे कि जब इंदिरा गांधी ने एमरजैंसी पूरे देश में लगाया था उस समय हमारा न्यायालय ने इंदिरा गांधी को कहा था की आप इस्तीफा दे दो। क्योंकि न्यायालय का काम ही यही है की गलत चीज को तुरंत रोके और संविधान के हिसाब से चलें।
हमारा न्यायालय आज सेलेक्टिव हो गया है। जो सरकार की तरफ से बोलता है। उसे जल्दी न्याय मिलता है । और जो सरकार के खिलाफ बोलता है। उसे न्याय जल्दी नहीं मिलता । चाहे वो अर्णव गोस्वामी का केस हो या अन्य हमको ये सब देखने को मिल रहा है। की कैसे छुट्टी के दिन भी न्यायालय अर्णव गोस्वामी के लिए चालू किया जाता है। जो कि हमें पता है। की जब बहुत ही जरूरी केस होता तो छुट्टी के दिन न्यायालय चालू किया जाता है। जैसे, किसी को फँसी दी जा रही हो। में मैं जमानत का विरोध नहीं कर रहा हूं लेकिन इसके साथ सबको इंसाफ मिले या किसी का घर तोड़ा जा रहा हो लेकिन इस केस ऐसी कोई इमरजेंसी नहीं थी फिर भी न्यायालय चालू किया गया जमानत मिलना उसका हक था लेकिन न्याय सबको मिले चाहे गरीब हो या अमीर या सरकार का पछ कार हो या विरोध करने वाला न्यायालय को एक नजर से दखे l हमें सबको पता है। अर्णव गोस्वामी सरकार का पैरवी है।
हमारा न्यायालय सेलेक्टिव हो गया है। और भी पत्रकार जेल में बंद है। सादिक कप्पन जो हतसर बलात्कार केस क उन्होंने दिखाए जिसकी वजह से उन्हें आज भी जेल में रखा गया है। जो सच्चाई दिखाए जिससे सरकार की बदनामी होती है। सरकार सच्चाई की आवाज़ तुरंत दबाने के लिए उसे जेल में डलवा देती है। ऐसे ना जाने कितने पत्रकार जेल में बंद है। जैसे कि, किसोरचंद्र वंगखेम, रजीब शर्मा ,धवेल पटेल, नरेश कोहल, राहुल कुरकर्णी , शर्मा, इत्यादि ।
अगर कोई न्यायालय के गलत न्याय पे बोलता है। की तो न्यायालय ही उसे पे केस चलाने का ऑर्डर दे देता है। जैसे प्रशांत भूषण और कुणाल कमरा के ऊपर हुआ है। प्रशांत भूषण जो अपने स्टेटमेंट में कायम थे। अगर कोई सच बोलता भी है तो सुप्रीम कोर्ट बोलता है कि आप माफी मांग लो तो केस नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने प्रंसात भूषण का केस 1 रुपए का जुर्माना लगाया जो दुनिया देखी की कोन गलत था और कोन सही वहीं चीज अब कुणाल कमरा के साथ हो रही। और हमें भी लगता है कि सुप्रीम कोर्ट दबाव में काम कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट भी चार स्तंभों में से एक स्तंभ है। और आज का माहौल देख कर ऐसा लग रहा है। की इन चारो स्तंभों में कहीं न्याय नहीं हो रहा है। न्यायालय से भी कुछ ऐसे फैसले करवाए गए सरकार के द्वारा जिससे उसको चुनाव में फायदा मिले और सरकार कैसे एक छोटे कम्युनिटी को टारगेट कर के बड़े कम्युनिटी वोट के खातिर कोनून बनाए जाते है। और न्यायालय उस पर एक्शन नहीं लेता है जैसे सिटीजनशिप कानून पास होने के बाद कबसे कोर्ट में पेंडिंग है। उसके ऊपर कुछ सुनवाई नहीं हो रही है। सरकार चाहती है। ये कानून ऐसे ही पेंडिंग रहे जिससे उसे पयादा मिले।
मेरी यही राय है कि न्यायालय स्वतंत्र संगठन है। तो उसे किसी के दबाव में काम ना करें और संविधान के निर्देश से चले।

Introduction:
मेरा नाम अफसर है। मै नई सोच सामाजिक का फाउंडर हूं ।जो ड्रॉपआउट बच्चो के साथ काम करते है। हमारा ऑब्जेक्टिव है कि कोई भी बच्चा ड्रॉपआउट ना हो साथ में हम बस्ती में स्किल और लोगो को जागृत पर भी काम कर रहे जिससे लोग अपने खुद कर सके।