~ Written by Afsar
आंदोलन का उद्देश्य सत्ता या व्यवस्था में सुधार या परिवर्तन होता है। आज का माहौल देख कर ऐसा लग रहा है कि लोकतंत्र नहीं राजतंत्र है। जो जनता के राय के बिना कोई भी कानून पास किए जाए रहे है।
चाहे नागरिकता संशोधन बिल हो या फिर किसान बिल।
जब लोग कानून का विरोध करते है तो कभी उन्हें अतंकवादी तो कभी उन्हें नक्सलवादी, खालिस्तानी बोला जाता है। और सब प्रोपगंडा को बढ़ावा देने के लिए आज की कुछ बिकी हुई न्यूज मीडिया बढ़ावा देती है। और इनके द्वारा बताया जाता है की ये कुछ लोगो का आंदोलन है। जो ये शायद बहुत दुर्भाग्य है। किसी भी देश के लिए।
जब नागरिकता संशोधन अधिनियम कानून आया। वो भी धर्म के आधार पर जो हमारे संविधान के बिल्कुल विपरीत है। जो हमारे संविधान की उलंघन करता है। और ये कानून से सिर्फ मुसलमानों को ही परेशानी नहीं होगी बल्कि सभी धर्मो को होगी । जो हमने एक उदाहरण के तौर पर आसाम में देख चुके है। अपने ही देश के रहने वालो को पराया बनाया गया है। जब लोगों के समझ में आया तो सभी धर्म के लोग आंदोलन करने लगे और उन्हें अतंकवादी तो कभी उन्हें नक्सलवादी या टुकड़े – टुकड़े गैंग बोला गया।
जब किसान बिल आया तो उसमे किसान को भी बोला गया कि आप की भलाई के लिए बनाया गया है। जब किसान ने बिल समझा तो समझ में आया कि ये तो हमारी भलाई के लिए नहीं ये तो हमारी बर्बादी के लिए है। और इसमें सिर्फ किसानों के लिए नुकसान नहीं बल्कि आम लोगो के लिए है भी नुकसान है। इसमें सबसे बड़ा प्वाइंट है कि जो बड़ी – बड़ी कंपनिया वो तो कितना भी खरीद के जमा खोरी कर सकते है। और बाद में जब बाज़ार में उसकी कमी होगी तो उसे अपनी मन मर्जी से भाव लगाया जाएगा। जिससे गरीबों में बहुत असर पड़ेगा। किसान आंदोलन में लगभग 200 से ज़्यादा लोगों की मृत्यु हो गई है। सर्दी में सड़क पर रह कर तकलीफ उठा रहे है। लेकिन सरकार को उनकी चिंता नहीं।
किसी भी देश की उन्नति उसके सबसे निचले स्तर के विकास से होती है ना की एक ही आदमी के विकास से।