हम हव्वा की बेटियां

वह हम को खोफ दिलाता है।
कभी कोशिश कर समझाता है।
तुम अपना सब कुछ गवा सकते हो।
इस राह पर बुहत ही लाशें है।

तुम पर कभी भी हो सकता है।
हमला तो अक्सर होता रहता है।
तुम ज़न हो, ज़न-ए- नाज़ुक सी ।
तुम्हे किया जरूरत राह पर आने की?

पर हम,

हम हव्वा की बेटियां है।
हमे जूनून ने पाले रखा है।
हम जिस लम्हे में जिन्दा है।
वह लम्हा हमसे ज़िंदा है।
यही वक़्त तो है बाहर आने का।
एक आवाज़ में इनकलाब गाने का।
तुम जो कर सकते हो कर जाओ।
लाठी, गोली, आंसू गैस ले आओ।
हम बस अपनी करनी पर आएंगे।
सिया रात में दीप जलायेगे।
तुम से जो बन पड़ता है वह करते रहना।
हम को जो करना है, वह हम कर जायेगे।
कदम बढे है, जो अब हमारे आगे बढ़ते जाएगे।

Introduction

मेरा नाम अकीला ख़ान है और मैं नारीवादी संघटन से जुडी हूँ| मुझे नज़्म लिखने और फ़िल्म बनाने में दिलचस्पी है और अपने नज़रिये को लफ़्ज़ों और विडियो की सूरत में सब के सामने रखना चाहती हूँ|

Aquila Khan

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