Vol. 1

उरूज के बारे में

हम भारत के लोग, हम दुनिया की सबसे बड़ी जमूरीयत है । अगर हम सब से बड़ी जमूरीयत है तो क्या हमने जमूरीयत के उसूलों को अपनी ज़िन्दगी में ढाल लिया है? भारत का आइन हमें इस देश को आगे ले जाने का रास्ता दिखता है। इस आइन ने मुमकिन किया है कि अफसर, नेता और अवाम बराबरी से साथ बैठ कर बात कर सके।
अपने हुकूक के बारे में बीच बीच में बात होती रहती है पर जमूरियत के उसूलों पर कम बातें होती नज़र आती है। अवाम, राजनैतिक दल और मीडिया अपने तरीके से अपनी राजनैतिक समझ को आगे बढ़ाते हुए मुद्दे रखते है।
आज भारत और भारतीय ऐसे मक़ाम पर आ पहुंचे है जहाँ हमें हमारे आईन ने दिखाएँ उसूलों की अहमियत समझने की जरूरत महसूस हो रही है।
आज़ादी, समता (बराबरी), न्याय (इंसाफ) और बंधुता (भाईचारा) किताबों से नहीं रोज की ज़िन्दगी में समझने और लाने की आगाज करने की ज़रूरत है। आज के राजनैतिक माहौल में मुम्ब्रा के रहिवासियों का अपनी नागरिकता का हक्क जताना एहमियत रखता है जो हम इस न्यूज़लेटर के ज़रिये करने की कोशिश किये है।
मुम्ब्रा में काम करते नज़र आता है कि अवाम की एक समझ बन गयी है की सरकार और सरकारी व्यवस्था उनके खिलाफ है, वह उनके हित में कभी नहीं रहेगी। इस सोच की वजह से अवाम मुद्दों पर शोर करती है पर सुलझाने के लिए सरकार से या सरकारी यंत्रणा से उम्मीद नहीं करती। मुम्ब्रा के facebook पेजेस देखें तो समझ आता है कि लाइट, कचरा, गैर कानूनी घर, रास्ते इन पर सभी अपनी राय देते हैं और नेताओं को कुसूरवार ठहराते दिखते है, पर उसके आगे, उनके हल के बारे में चर्चा या कोशिश नहीं नज़र आती।
परचम का यह पहला न्यूज़लेटर ‘उरूज’ मुम्ब्रा के युवाओं की आवाज़ है। हम मानते हैं कि युवा हमारी और इस देश की तरक्की की उम्मीद है। इस ख्याल से हम मुम्ब्रा के कई colleges में जाकर युवाओं से मिले और उनके सामने न्यूजलेटर की सोच रखी । युवाओं को इस प्रक्रिया में जोड़ने का मकसद था की वो लाइट, कचरा, खराब सड़कों जैसे नागरिक मुद्दों को नागरिकता के अधिकार और जिम्मेदारियों की ऐनक से समझे और उन मुद्दों के अलग अलग पहलू समझकर, उन्हें सुलझाने के तरीके भी साथ रखें।
यह न्यूज़लेटर के लेख लिखने के पहले, युवाओं के साथ हम ने भारत के आइन की बात और उसकी समझ बनाने की प्रक्रिया चलायी। साथ ही शासन-प्रशासन क्या है, राज्य स्तर पर और शहरी स्तर पर कौन और कौनसी नागरी सुविधा पूरी करने का ज़िम्मेवार है, इन सब पर चर्चा हुई। युवाओं ने नेताओं के, शासकीय अधिकारीयों के और मुम्ब्रा के रहिवासियों के इंटरव्यू लिए उनकी राय इन मुद्दों पर रखने के लिए।
इन ट्रेनिंग्स में हमे साथ दिए हमारे साथी संगठन सेंटर फॉर प्रमोटिंग डेमोक्रेसी (Centre for Promoting Democracy -CPD) और उनके Director साथी सीताराम शेलार । हमारे साथी पत्रकार और TISS के मीडिया Faculty ने इसमें हमारी मदद की। हम शुक्रगुज़ार है कल्पना शर्मा, फैज़ उल्लाह और निथिला कानागासबाई के, जिन्होंने युवाओं को सिर्फ मार्गदर्शन ही नहीं पर अपने पर भरोसा दिलाया कि वह लिख सकते है। परचम की इस कोशिश को कोरो (CORO) संस्था का मिला सहयोग बेहद अहम् है।
आईन की उसूलों की समझ को बेहतर करके ज़िन्दगी में ढालने की इस सफ़र में आप भी हमारे साथ चलेंगे ऐसा पूरा भरोसा है।

Editorials of Urooj Edition 1


Let’s build something together.


Advertisement

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s